Monday, June 1, 2009

एक अनुभव.....

जीवन में ख्वाइशें कम नहीं ,
हिम्मत भी है मन में, कम नहीं ;
फ़िर भी यार, सफलता मिल नहीं पाती है ,
जब जिंदगी में बंदी आ जाती है ।
मैं कुछ अतिशयोक्ति नहीं करता हूँ ,
अपने अनुभवों को शब्दों का रूप देता हूँ ;
मेरे अनुभव किसी के आ सके काम ,
तो यही होगा सरस्वती को मेरा प्रणाम ।


एक दिन मेरा मन भी भटका था ,
मेरा दिल भी किसी पर अटका था,
मैंने
भी औरों को देखकर,
बड़ों की बातों पर ध्यान नहीं दिया था ;
एक सुंदर सी बंदी से नाता जोड़ने का ,
एक असफल प्रयास किया था ।
शुरुआत के कुछ दिन तो अच्छे बीतें ,
मैंने भी दोस्तों को लड्डू बांटे;
फ़िर परिवर्तन का दौर शुरू होता है ,
ये सीधा साधा आशुतोष, आशु डार्लिंग बन जाता है ।
पहले दिनचर्या बदलती है ,
फ़िर मैं ही बदल जाता हूँ ;
दोस्तों को भूल जाता हूँ ,
दिन भर उन्हीं के चक्कर लगाता हूँ ।


फ़िर कुछ ही दिनों में टेस्ट आ जाते हैं,
दोस्त मुझे कह कह के थक जाते हैं ;
मैं तो उन्हीं में मगन रहता हूँ ,
एक आज्ञाकारी की भांति, उन्हीं के गुण गाता हूँ ।
टेस्ट का समय भी बीत जाता है,
मुझे फक्का लग जाता है ;
बंदी को भी ये पता चल जाता है;
उसे मेरे में नहीं दीखता फ्यूचर ,
किस दुसरे को लेकर हो जाती वो रफ्फूचक्कर ।


फ़िर मेरा पौरुषत्व जगता है ,
दिमाग सही रास्ते में आ जाता है ;
बंदियों से अपने को दूर ही रखता हूँ ,
दूसरो को भी जितना हो सके यही सलाह देता हूँ ।
जिस दिन से बंदी लाइफ से हटी है ,
मेरी जिंदगी की ट्रेन सही रस्ते पर दौडी है ;
आप अपने जिंदगी की ट्रेन ट्रैक से मत उतरिये,
माँ-बाप का काम अपने कन्धों पर मत लादिये ।

3 comments:

Avimuktesh said...

mishra ji ma bap kam karna bachcho ka kartavya hota hai.......majburi ka nam mahatma gandhi ka purn charitra chitran hai aapki kavita!!
waise a nice one

Ashutosh Kumar Mishra said...

@ avimuktesh ji:- jo bhi kahiye..kintu adhikansh janta ka yahi haal hai... sabko ant me akl aa hi jati hai...

Anonymous said...

Ashutosh ji,
sach me aisa hua tha kya???

Matlab door hi rahna chahiye bandiyon se..