जीने मरने की कसमें बाँध लेते हैं,
हर पल हसीन हो जाता है
किसी की नींद तो किसी का चैन खो जाता है |
कुछ के लिए ये जीवन का हसीन पल होता है ,
तो किसी के लिए शायराना खयाल होता है,
किसी को जन्नत की सीढियां दिख जाती हैं,
तो किसी को ख़ुशी का आशियाँ मिल जाता है |
मैंने भी यही उम्मीद की थी,
इश्क करने की एक भूल की थी |
इस मोहब्बत में,
ना जाने कितने हसीन ख्वाबों को हकीकत का रूप देना था,
ना जाने कितने हसीन पलों को संजोना था |
न जाने कितनी कसमें हमने खायीं थी,
ना जाने कितने वादे हमें निभाने थे |
लेकिन ना जाने.....
कहाँ गयी वो कसमें , कहाँ गए वो वादे ;
सब एक झटके में टूट गया,
कहाँ गयी वो कसमें , कहाँ गए वो वादे ;
सब एक झटके में टूट गया,
मोहब्बत का आशियाँ एक पल में बिखर गया |
सारी कसमें झूठी सी हो गयीं ,
सारी यादें धुंधली सी हो गयीं |
सारे वादे-सारे बंधन सब टूट गए,
और हम अपने आंसुओं के साथ अकेले ही रह गए |
मैं कहता हूँ....
उन कमबख्त शायरों को बुलाओ,
उन कमबख्त आशिकों को बुलाओ,
मैं बताता हूँ....मोहब्बत कितनी हसीन होती है ?
उन हसीन पलों का क्या होता है,
उन ख्वाबों का क्या होता है ?
मैं बताता हूँ, एक पल में ये सब कैसे बिखर जाता है?
कैसे आदमी तन्हाँ हो जाता है ?
कैसे आदमी तन्हाँ हो जाता है ?