Monday, September 6, 2010

मैं बताता हूँ....मोहब्बत कितनी हसीन होती है ??

लोग मोहब्बत में खुदा देख लेते हैं ,
जीने मरने की कसमें बाँध लेते हैं,
हर पल हसीन हो जाता है 
किसी की नींद तो किसी का चैन खो जाता है |
कुछ के लिए ये जीवन का हसीन पल होता है ,
तो किसी के लिए शायराना खयाल होता है, 
किसी को जन्नत की सीढियां दिख जाती हैं,
तो किसी को ख़ुशी का आशियाँ मिल जाता है | 

मैंने भी यही उम्मीद की थी,
इश्क करने की एक भूल की थी |
इस मोहब्बत में, 
ना जाने कितने हसीन ख्वाबों को हकीकत का रूप देना था,
ना जाने कितने हसीन पलों को संजोना था |
न जाने कितनी कसमें हमने खायीं थी,
ना जाने कितने वादे हमें निभाने थे | 

लेकिन ना जाने.....
कहाँ गयी वो कसमें , कहाँ गए वो वादे ;
सब एक झटके में टूट गया,
मोहब्बत का आशियाँ एक पल में बिखर गया |
सारी कसमें झूठी सी हो गयीं ,
सारी यादें धुंधली सी हो गयीं |
सारे वादे-सारे बंधन सब टूट गए,
और हम अपने आंसुओं के साथ अकेले ही रह गए | 

मैं कहता हूँ....
उन कमबख्त शायरों को बुलाओ,
उन कमबख्त आशिकों को बुलाओ, 
मैं बताता हूँ....मोहब्बत कितनी हसीन होती है ?
उन हसीन पलों का क्या होता है,
उन ख्वाबों का क्या होता है ?
मैं बताता हूँ, एक पल में ये सब कैसे बिखर जाता है?
कैसे आदमी तन्हाँ हो जाता है ?

कैसे आदमी तन्हाँ हो जाता है ?

Thursday, September 2, 2010

इसी मोहब्बत की आग में हम जल मिटे.....

हमारी मोहब्बत को आप समझ न सके, 
हमारी मोहब्बत में आप तड़प न सके ,
हमारे ज़ज्बातों को आप दरकिनार कर, 
बड़ी बेदर्दी से हँसते ही रहे...... (2) | 

इसे आपकी मासूमियत कहूं, या आपकी बेरुखी, ...... (2) 
इसे अपना दीवानापन कहूं  या सच्ची दिल्लगी;
जो भी कहूं, सच तो ये है ..... (2)
बेवफाई का ये कड़वा घूँट हमें पीना ही पड़ा..... (2)
न चाह कर भी आपकी गलियों से मुहं मोड़ना ही पड़ा | 

दुःख तो यह है.......... (2)
कितनी कोशिशों, कितनी मिन्नतों के बाद भी,
दिल में आपके मोहब्बत की आग हम लगा न सके |
खुदा कसम..... लेकिन , 
इसी मोहब्बत की आग में हम जल मिटे,
इसी मोहब्बत की आग में हम जल मिटे |