Friday, November 27, 2009

एक और सेमेस्टर निकल गया....

एक सेमेस्टर और निकला, कुछ समझ में ही नहीं आया ,
अब तो सब कुछ लगता है एक मोहमाया |
लगता है सब मोहमाया, इन सबसे मुक्ति मिले,
कम मेहनत करके सफलता प्राप्त करने की कोई युक्ति मिले |
समय बीतता जा रहा, ना बंदी मिली ना CG मिली,
इस KGP नामक जंगल में बस DC की शरण मिली |
DC की शरण मिली है, जीवन चैन से है कट रहा,
लेकिन प्लेसमेंट की हालत देखकर अपना हेल्थ बिगड़ रहा|
अब तो IIT ब्रांड की महिमा भी धुंधली पड़ी है, पता नहीं क्या होगा ,
नौकरी ना मिली तो देखने लायक हाल होगा , जो होगा सो तो होगा |

किन्तु पाठक गण चिंता ना करें, मैं frustt नहीं हुआ हूँ ,
जीने की इच्छा बाकी है, अभी dereg नहीं हुआ हूँ |
हर सेमेस्टर के बाद मुझे ऐसी ही चिंता है होती,
पढने और कुछ करने की जबरदस्त इच्छा है होती|
पर ये फेज भी निकल जाता है, ये मौसम भी कट जाता है,
हम मिलते हैं फिर DC के प्यार में, कैंटीन की भाट पर|
फिर वही चक्र शुरू हो जाता है, जो हमेशा है चलता,
आपका प्यारा ये दोस्त फिर दुखी सा है दीखता |

2 comments:

Tanmay Ghonge said...

MAST HAI ........
BEST OF THE LOT.....

bK said...

mishraji....
macha rahe hain aap to..