Friday, November 27, 2009

आप भी शुरू हो जाइए क्यूंकि लिखना जरूरी है...

साहित्य का अपना ही आनंद है और मुझे लिखना बहुत पसंद है| मुझे परीक्षा की उत्तर पुस्तिका लिखना छोड़कर बाकि कुछ भी लिखने में आनंद आता है| लेकिन समस्या तब होती है, जब मैं लिखने बैठता हूँ और कोई विषय नहीं सूझता| तभी लिखने का सारा उत्साह उड़ जाता है और फिर जो भी इच्छा रहती है वो बस इच्छा बनकर ही रह जाती है|
एक समस्या और है कि मुझे हिंदी में लिखना प्रिय है किन्तु हिंदी साहित्य की जो स्थिति है वो किसी से छिपी नहीं| ना तो अब ढंग कि कोई किताब छ्प रही है और ना ही किसी को उन्हें पड़ने में रूचि| लोग शेक्सपियर से लेकर डैन ब्राउन और जेफ्फ्रे आर्चर को पढ़ लेते है किन्तु प्रेमचंद्र और निराला को पढने वाले लोग गिनती के ही रह गए हैं|
ये दो तथ्य पहला कि विषय का नहीं सूझना और दूसरा कि लिख भी दिया तो पढेगा कौन मुझे सदा निरुत्साहित करता है कि लिखकर क्या होगा और मेरी लिखने कि इच्छा दबी कि दबी रह जाती है|मैं अपने आपको अन्य कामों में व्यस्त दिखाकर खुश होता रहता हूँ कि मेरे पास लिखने के लिए समय नहीं है, किन्तु जो भी हमारे कैम्पस कि लाइफ को जानते हैं उन्हें मालूम है कि यह बस एक बहाना ही है - काम को टालने का और अपने आपको भ्रम में रखने का| अगर सही में इच्छा हो तो समय किसी भी कम के लिए निकाला जा सकता है|
तो मैंने अब सोचा है कि चाहे जो हो जाये मैं लिखूंगा..क्यूंकि अब मुझे यह एहसास हुआ है लिखना जरूरी है, निरंतर लिखना जरूरी है क्यूंकि यही तो एक मौका है अपनी कल्पनाओं को उडान देने का, अपनी सोच को शब्दों का रूप देने का.......
यही तो वो जगह है जहाँ आप अपना सच्चा रूप दिखा सकते हैं, बेफ़िज़ूल के दिखावे से उठकर अपने मन कि बातों को दूसरों तक पहुंचा सकते हैं....तो मैं कहूँगा आप भी शुरू हो जाइये..भाषा चाहे जो भी हो...माध्यम जो भी हो...बस लिखना शुरू कीजिये और लिखते ही जाइये..क्यूंकि लिखना जरूरी है...बहुत ही जरूरी है....

4 comments:

Ankit Shubham said...

अरे मिश्राजी, क्या विचार हैं आपके! लिखना जरुरी है... मस्त पोस्ट, लगे रहो! :)

Shailesh said...

yeah....great...
main bhi likhunga ab :D

Anonymous said...

great! likhna sachhime zaroori hai, :)

arshad@iit.kgp said...

wah mishra ji baat to apne fateh ki kahi hai...
apke is andaaz se hum khush hue..