Monday, September 6, 2010

मैं बताता हूँ....मोहब्बत कितनी हसीन होती है ??

लोग मोहब्बत में खुदा देख लेते हैं ,
जीने मरने की कसमें बाँध लेते हैं,
हर पल हसीन हो जाता है 
किसी की नींद तो किसी का चैन खो जाता है |
कुछ के लिए ये जीवन का हसीन पल होता है ,
तो किसी के लिए शायराना खयाल होता है, 
किसी को जन्नत की सीढियां दिख जाती हैं,
तो किसी को ख़ुशी का आशियाँ मिल जाता है | 

मैंने भी यही उम्मीद की थी,
इश्क करने की एक भूल की थी |
इस मोहब्बत में, 
ना जाने कितने हसीन ख्वाबों को हकीकत का रूप देना था,
ना जाने कितने हसीन पलों को संजोना था |
न जाने कितनी कसमें हमने खायीं थी,
ना जाने कितने वादे हमें निभाने थे | 

लेकिन ना जाने.....
कहाँ गयी वो कसमें , कहाँ गए वो वादे ;
सब एक झटके में टूट गया,
मोहब्बत का आशियाँ एक पल में बिखर गया |
सारी कसमें झूठी सी हो गयीं ,
सारी यादें धुंधली सी हो गयीं |
सारे वादे-सारे बंधन सब टूट गए,
और हम अपने आंसुओं के साथ अकेले ही रह गए | 

मैं कहता हूँ....
उन कमबख्त शायरों को बुलाओ,
उन कमबख्त आशिकों को बुलाओ, 
मैं बताता हूँ....मोहब्बत कितनी हसीन होती है ?
उन हसीन पलों का क्या होता है,
उन ख्वाबों का क्या होता है ?
मैं बताता हूँ, एक पल में ये सब कैसे बिखर जाता है?
कैसे आदमी तन्हाँ हो जाता है ?

कैसे आदमी तन्हाँ हो जाता है ?

16 comments:

विवेक सिंह said...

मनोभावों को बड़ी खूबसूरती से कविता में पिरोया गया है ।

अच्छी कविता !

Avimuktesh said...

wah wah kya bat hai.. aisa lagta hai ki Jis bhav ne Firaq ko "Bhool baithi wo nigah e naz ahad e dosti.... usko bhi apni tabiyat ka samajh baithe the hum" likhne par majboor kiya hoga usi bhav ki giraft me tum bhi ho..

Sunil Kumar said...

कहीं तो चोट लगी है अभी आप भी सही शायर भी अपनी जगह सही है अच्छी लगी बधाई

safar said...

sahi hai...sundar

Manish Pilania said...

waah waah Mishra Ji :)

Swati said...

yeah... gud attempt.. :)

Anonymous said...

इस कविता पर एक शेर अर्ज़ किया है -

" लोग कहते हैं मुहब्बत में असर होता,
कौन से शहर में, किधर होता है "

दूसरी बात किसी ने कहा है - दुनिया में कोई भी चीज़ अच्छी या बुरी नहीं होती, हमारा नजरिया उसे अच्छा या बुरा बनाता है |

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vandana gupta said...

लगता है गहरी चोट लगी है………………मनोभावों का सुन्दर चित्रण्।

दीपक बाबा said...

मिश्र जी, बाकि तो सब ठीक है पर आपके कैरियर के लिए ये तन्हाई अच्छी नहीं.

anshu said...

मस्त कविता है मिश्रा जी
लगता है आपको "वो चोट " कुछ ज्यादा ही गहरी लगी है

Udan Tashtari said...

वाह! बहुत बेहतरीन.

Kishoree said...

bahot khub...really nice poem!!

double liked it!.!

Anonymous said...
This comment has been removed by the author.
Anonymous said...

very nice yaar...keep it up...

Unknown said...

very nice post.....

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karan jagani said...

Kya baat hai yaar.
Great Going.