Monday, November 22, 2010

आइये इस ज़िन्दगी नामक किताब का नया संस्करण निकाला जाए....

अपनी ज़िन्दगी से हमें कई शिकायतें हैं.....

कहीं ना कहीं हम सब अपनी ज़िन्दगी से उब चुके हैं ,
इन तमाम परेशानियों से खिंच चुके हैं |
हम सबके जीवन में 
कई तरह की चिंताएं है ,
तमाम असफलताएं हैं , 
दबी-कुचली  इच्छाएं हैं . 
ना जाने कितनी ही....आधी-अधूरी  आशाएं हैं |

इन सब के चक्कर में ,
हमने जीवन को भागमभाग का एक खेल बना रखा है
ज़िन्दगी की किताब के अधिकांश पन्नों को ,
दुःख और परेशानियों से भर रखा है | 
इन पन्नों में खुशियों का कहीं नामों निशाँ नहीं दीखता;
इनमें हर पल एक मातम सा हो रखा है |

और हम बस, इन्हीं पन्नो को पलटते जा रहे हैं,
इससे ही ज़िन्दगी परिभाषित करते जा रहे हैं | 


मैं तो कहता हूँ ,
ज़िन्दगी की ये किताब अब पुरानी हो गयी है |
आइये इस ज़िन्दगी नामक किताब का नया संस्करण निकाला जाए ;
नए पन्ने जोड़े जाएँ, नए अध्याय जोड़े जाएँ |

आइये, इसमें जोड़ते हैं उन पन्नो को, उन छोटे-छोटे तमाम पलों को, 
जिन्हें हम इस भाग दौड़ में भुला देते |
आइये जोड़ते हैं उन तमाम छोटी छोटी खुशियों को,
जिनके मायने आज बदल गए हैं | 
आइये दुबारा खोजते हैं उन रिश्तों को,
जिन्हें हम आगे बढ़ने के चक्कर में भूल चुके हैं |
आइये जोड़ते हैं उन आदर्शों को,
जो आज किताबी बातें बनकर रह गए हैं |  
आइये जोड़ते हैं उन अहसासों को, उन अनुभूतियों को 
जो हमें इंसान बनती हैं |

आइये जीने रहने का मूल उद्देश्य बदल देते  हैं ,
जो की जिंदादिली से जीना है, दूसरों के लिए कुछ करके जाना है,
ना की हर पल अपने स्वार्थ में भागते रहना | 

6 comments:

Anonymous said...

बहुत सुन्दर सोच है आपकी .....छोटी-छोटी बातों में ही जीवन की बड़ी खुशियाँ छुपी होती हैं......और सुख कोई बहार थोड़े ही है जो भागने से मिल जाएगा ....सुख तो तुमसे है....अगर तुम खुश होना चाहो तो कौन फिर तुम्हे दुःख दे सकता है.....सुन्दर पोस्ट....शुभकामनाये|

Shailesh said...

nice man....awesome expression of thoughts :)

Anshu said...

another great poem by our mishra ji :)

Kishoree said...

nice poem yar!!!
keep it up.. :)

Letters to Soul... said...
This comment has been removed by the author.
Letters to Soul... said...

waaah.. kafi ache se likha gaya hai..nice lines : I liked :

आइये, इसमें जोड़ते हैं उन पन्नो को, उन छोटे-छोटे तमाम पलों को, जिन्हें हम इस भाग दौड़ में भुला देते |आइये जोड़ते हैं उन तमाम छोटी छोटी खुशियों को,जिनके मायने आज बदल गए हैं | आइये दुबारा खोजते हैं उन रिश्तों को,जिन्हें हम आगे बढ़ने के चक्कर में भूल चुके हैं |आइये जोड़ते हैं उन आदर्शों को,जो आज किताबी बातें बनकर रह गए हैं | आइये जोड़ते हैं उन अहसासों को, उन अनुभूतियों को जो हमें इंसान बनती हैं |

:)
keep it up dude :)