Wednesday, May 13, 2020

क्यूँ.... क्यूंकि इक उम्मीद है | 

मैं एक प्रतिबिम्ब हूँ ,
तुम्हारे जीवन का प्रतिबिम्ब | 
जब तुम मंच पर खड़े होकर पुरस्कार ले रहे होते हो, 
जब तुम उसकी पार्टी में अपने संघर्ष के किस्से सुना रहे होते हो ,
जब तुम अपने नवीन सोच पे गर्व कर रहे होते हो ,
तो तुम्हारे पीछे खड़ा, मैं मुस्करा रहा होता हूँ; 
तुम्हारी सफलता में एक भविष्य देख रहा होता हूँ | 
वो किस्से मैं सुनता हूँ, समझने की कोशिश करता हूँ | 
अपनी अगली पीढ़ी को सुनाता हूँ, समझाता हूँ | 

क्यूँ.... क्यूंकि इक उम्मीद है | 

इक उम्मीद है, उसे खोना नहीं चाहता | 
उम्मीद कि शायद हमारी रेखाएं भविष्य में कहीं मिल जाएँ , 
उम्मीद कि शायद मेरा वर्तमान  बदल जाए | 
मैं चलता  हूँ, दौड़ता हूँ , गिरता हूँ , उठता हूँ और फिर चलता  हूँ | 

क्यूँ.... क्यूंकि इक उम्मीद है | 

ऐसा नहीं, कि 
मैं वास्तविकताओं को नहीं समझता | 
ऐसा नहीं कि हक़ीक़त से मेरा पाला नहीं पड़ता |
हर दिन मेरी समस्याएं  मेरी आँखों में झांकती है,
हर दिन हताशा आती है, 
हर दिन मैं हारता हूँ ,
और हर दिन,  तुम्हारे उन्हीं किस्सों के सहारे उठने का प्रयास करता हूँ  | 

क्यूँ.... क्यूंकि इक उम्मीद है | 

अनुभवों से कुछ मैंने सीखा है, समझा है 
सीखा है उम्मीद करना, पुरजोर मेहनत करना 
सीखा है, हर अपमान को भूल जाना 
सीखा है, गिरना उठना और फिर चलना 
नहीं सीखा तो अपेक्षाएं करना,
नहीं सीखा तो बातों को दिल से लगाना,
नहीं सीखा तो हार जाना,
नहीं सीखा तो चोटों को भुलाना |  

क्यूँ.... क्यूंकि इक उम्मीद है | 

उम्मीद है, भविष्य की 
उम्मीद है, वर्तमान से बहार निकलने की 
उम्मीद है, अपने किस्से बनाने की 
उम्मीद है, किसी की प्रेरणा बनने  की 
उम्मीद है, आप सबके द्वारा खुद को इंसान समझने की |  
उम्मीद है , मेरे अधिकारों के पहचान की, 
उम्मीद है, मेरे व्यक्तित्व के पहचान की | 
क्यूँ.... क्यूंकि मुझे अपने आपसे इक उम्मीद है | 
क्यूँ.... क्यूंकि मुझे  इंसानियत पे उम्मीद है |  

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