Sunday, July 17, 2011

मैं चाहता हूँ...

हवा की स्वच्छन्द्ता चाहता हूँ,
लहरों की चंचलता चाहता हूँ, 
इस असीम आकाश की गंभीरता चाहता हूँ,
क्षितिज जैसा विस्तार चाहता हूँ |
पेड़ पर लिपटी बेल का उत्साह चाहता हूँ,
सागर की गहराई चाहता हूँ, 
चांदनी की शीतलता चाहता हूँ,
और इस दुनिया में बस इंसानियत की पहचान चाहता हूँ |  

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