Thursday, December 25, 2008

"नज़र - नज़र"

नज़र - नज़र की बात है ,
किसी के लिए दिन तो किसी के लिए रात है ।

घटनाएं ,
घटनाएं सदा एक सी हैं होती ,
किसी को आशा तो किसी को निराशा हैं देतीं ।
नज़र - नज़र की बात है ,
किसी के लिए दिन तो किसी के लिए रात है ।

आलिंगन ,
आलिंगन सदा एक सा है होता ,
किसी के लिए दोस्त तो किसी के लिए प्रेमिका का प्यार है ।
नज़र - नज़र की बात है ,
किसी के लिए दिन तो किसी के लिए रात है ।

अदाएं ,
अदाएं सदा एक सी हैं होती,
किसी के लिए बात तो किसी के लिए इज़हार है ।
नज़र - नज़र की बात है ,
किसी के लिए दिन तो किसी के लिए रात है ।


तो सोचिये -
ये तो हैं कुछ उदाहरण ,
ऐसी ना जाने कितनी बातें हैं होती ,
जो कुछ और हैं होती ,
किंतु कुछ और ही लगती ।

तो मित्रों बात है ,
सोच बदलने की ।
बातें एक सी ही होती हैं ,
हमारी नज़रें उन्हें बदलती हैं ।
कभी - कभी तो बातों का ऐसा अर्थ निकल जाता है ,
अर्थ का अनर्थ हो जाता है ,
बच्चा बाप बन जाता है ।

तो आप अपनी नज़रें बदलिए ,
विचारों को बदलिए ,सोच को बदलिए ।
अपने साथ - साथ समाज का भी भला कीजिये ।

1 comment:

Unknown said...

a gud thought!poured into a poem..keep it up